



विचक्षण जैन विद्यापीठ स्कूल में पूज्य गुरुभगवंतों/निष्णात विद्वानों का अनवरत सानिध्य मिलेगा। इनके द्वारा नियमित रुप से नैतिक‚ धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षाएँ दी जाएगी। जिसके अंतर्गत तत्त्वज्ञान‚ जीवन प्रबन्धन आदि से संबंधित स्वाध्याय‚ परमात्म-भक्ति एवं ध्यान आदि समुचित रुप से वय के अनुसार क्रमशः नियमित पढ़ाये जाएंगे। यह शिक्षा भी परोक्ष रुप से बच्चों के समग्र जीवन विकास का एक महत्त्वपूर्ण अंग बनेगी‚ क्योंकि इससे ही बच्चों में सरलता‚ सहनशीलता‚ संवेदनशीलता आदि गुणो का विकास होता है।
बहिरंग एवं अंतरंग जीवन का संतुलित विकास ही विचक्षण जैन विद्यापीठ स्कूल का मुख्य ध्येय है‚ जिसे हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं – बौद्धिक एवं नैतिक विकास में संतुलन, तार्किक एवं भावनात्मक व्यवहार में समन्वय, स्वहित एवं समाज हित में संतुलन, मूल्यवर्धक शिक्षा, आत्मानुशासन का विकास, उद्यमी-कौशल का विकास ।
विचक्षण जैन विद्यापीठ का मानना है कि “स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।” अतः मेस में शुद्ध‚ सात्विक‚ शाकाहारी‚ स्वादिष्ट‚ स्वास्थ्य संवर्धक एवं अंहिसक जैन आहार की समुचित व्यवस्था रहेगी। भोजनशाला की समय-सारणी इस प्रकार से बनायी जाएगी कि सूर्यास्त पूर्व भोजन के बावजूद बच्चों को व्यावहारिक परेशानियाँ नहीं आए। आवश्यकतानुसार एवं वय अनुसार पेय पदार्थों की व्यवस्था की जाएगी।
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Pleasantly surprised with outstanding facilities in the school premises with Jainism at its core!Rishi Bafna
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The best place for building up your foundation – ‘Shiksha with Sanskaar’.Sachin Kumar Darda